Wednesday, October 14, 2009

भजन....

जीवन की एक कडवी सचाई.................
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मीराबाई का एक भजन...............

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Thursday, October 1, 2009

उलझे रिश्ते --------------

आज समीर जी की पोस्ट तारो का मकड़जाल पढ़ कर एक घटना याद गई --------
पिछले माह नर्सरी क्लास की क्लास टीचर एक बच्चे को छुट्टी के समय गेट पर लेकर खड़ी थी ,उसकी माँ केआने का इंतजार करते हुए ,बहुत समय बीतने के बाद उस बच्चे को लेने उसकी माँ आई -------आते ही सॉरीबोला ----मेडम,माफ़ कीजियेगा आज फ़िर देर हो गई .........फ़िर कुछ सोचकर बोली------- मेडम आपके स्कूल की बस बच्चे को घर पर छोड़ती है? ,
टीचर ने कहा --हां , आप कहा रहते है ?
..............यही पास में कोलोनी में , दस मिनट का रास्ता है |
फ़िर ? ----टीचर ने आश्चर्य से पूछा? और कहा ---बस कि फीस साढ़े चार सौ रुपये माह रहेगी |
हां ,कोई बात नही ,.............वो क्या है , मै रोज इसको लेने आना भूल जाती हू , बस रहेगी तो आराम रहेगा ?
आप सर्विस करती है ?----टीचर का अगला सवाल था |
नही ...............
टीचर चुप-चाप बच्चे को माँ को सौप कर लौट आई ----------मगर उसे बहुत बुरा लगा , इतने पास रहते हुएभी बच्चे को बस लगवाना उसे बहुत अटपटा लगा ------ नजदीक ही मै खड़ी थी उसने ये बात मुझे बताई |मै अब तक उस घटना को भुला नही पाई |
वाकई शर्मनाक घटना है , मेरे मुह से अचानक निकला था ------गनीमत है उन्हें इतना याद है की अपना कोई बच्चा भी है .........
...............इसके आगे की कल्पना करना तो और भी भयावह है ----------या ये की जब माँ का ये हाल है तो पिता क्या करेगे ???-------इसके आगे शायद पिता अपने बच्चे को देखकर कहे कि------तुम्हे कही देखा हुआ लग रहा है ----बेटा कहा रहते हो ??..............और जबाब मिले हां , देखा होगा , मै आपके कमरे के बगल वाले कमरे में रहता हू ----- आपकी पत्नी के साथ ------तो किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए !!!!!!!!!!!!!!!!!!