Wednesday, April 14, 2010

पिछले पन्नों पर.......................


काश
सूरज
के इस दर्द को उसके दोस्त समझ पाते ....
और सूरज के साथ उसके जैसे ही , उससे दोस्ती निभाते ...
अब देखना सूरज अपने --पल-पल का बदला लेगा...
चाँद , रात और सितारों के सात हम सबको भी जला देगा.......दिल की कलम पर एक प्रेम कहानी ....बहुत पुरानीजरा हट के पर ... ...

आने वाले समय मे टी.वी. भी उठाकर फ़ेंक दिए जाएंगे........आज माता-पिता अपने बच्चों के लिए समय नही निकाल पाते तो भविष्य मे ये बच्चे ......ईश्वर आपके लिए क्या करे ........खुशदीप.....

साहिल की गोद में जब सूरज कर सो गया
सोने से पहले ही तमस ने उसका मुँह भी धो दिया...
तमस को बुलाया था रोशनी ने जान देकर
रोशनी को रोया चाँद ठंडी चादर लेकर...
चाँद को सहलाया समन्दर ने आगोश में लेकर
और तब सूरज चल पडा चाँद को सहिल की गोद देकर..... मै आप और सब ...........ओम आर्य के साथ............


राम नाम सत्य है ----

ये ब्लोगर बडा मस्त है,
ब्लोगिंग से त्रस्त है,
बुढापे का कष्ट है,
गूगल भी ध्वस्त है,
अन्य ब्लोगर पस्त है,
"ये" ही सर्वत्र है,
(क्योंकि इसमें)
आंतरिक युवत्व है ।...............समीर जी के लिए ........उडनतश्तरी पर............. (पोस्ट ढूंढ पाना मुश्किल )


इस पेशे की पहली शर्त अच्छा स्वभाव होना ही है .....(हालांकि ये समय बिताने के बाद ही पता चलता है )..........मुक्त विचारो का संगम ---कभी ख़ुशी कभी गम

अभी तो नाचना शुरू ही किया था ...............मारा क्यों???????????????
..........भला इतने लोगों के बीच में अच्छा लगता है क्या ??? ......


पिछले दिनों स्वादिष्ट संगीत का का रसास्वादन भी करवाया ...........मनीष जी ने


आज
आशीर्वाद दे ----मेरे पोते ---युगांश को-----

(मेरे ताउजी के बड़े बेटे के बेटे का बेटा मेरा पोता हुआ ना ....) उसके जन्मदिन पर-----(एक वर्ष का हुआ है आज )(पुरानी फोटो ही उपलब्ध है अभी )

और याद रखें------- लविज़ा कों आशीर्वाद देना है --------३० अप्रेल कों ........(दूसरी वर्षगाँठ पर ) .............

और अंत में ये बता दू कि ......चर्चा करते ही ......भीड़ बढ़ जाती है नए पुराने सब की

11 comments:

Jandunia said...

बहुत अच्छी पोस्ट

Kulwant Happy said...

तेरे लबों के इस नेस्ट पर मुस्कराहट का पंछी सदैव बैठा रहे।

स्वप्न मञ्जूषा said...

अर्चना जी,
मैं तो पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर...आकर बहुत ख़ुशी हुई..
और एक बात हम नहीं समझे युगांश आपका पोता कैसे हुआ जी...आपका भतीजा हुआ...
देखिये आपके ताऊ जी के बड़े बेटे ...आपके भाई हुए....तो आपके भाई का बेटा आपका भतीजा हुआ...वैसे अगर दादी बनाने की जल्दी है तो कोई बात नहीं...मैंने तो बस यूँही कह दिया था...हाँ नहीं तो...!!
युगांश को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद...

Archana Chaoji said...

नमस्ते अदा जी,आपका स्वागत है । युगांश है तो मेरा पोता ही -मेरे ताउजी के बडे बेटे के बेटे का बेटा ---रिश्ता लिखने मे गलती हो गई थी ,आभार आपका सुधार करवाने के लिए..............

उन्मुक्त said...

मालुम नहीं किसके पेशे की बात है - टैक्सी ड्राईवर, या फिर उसके पिता या फिर टैक्सी सवार के :-)

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.

संजय भास्‍कर said...

युगांश को ढेर सारा प्यार

Archana Chaoji said...

@उन्मुक्त जी....... और पवन के भाई के.....

अरुणेश मिश्र said...

रोचक ।

Udan Tashtari said...

युगांश को आशीष...हम तो आज इस पोस्ट को देख पाये. रोचक.

Dr ajay yadav said...

बहुत खूबसूरत लिंक्स और लेखन,बड़ा आनंद आया |
“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”