Thursday, April 22, 2010

सोचो जरा ......................

( चित्र गूगल से साभार )


ईश्वर न होता तो क्या होता ?
धरती न होती, आसमां न होता ।

माँ न होती तो क्या होता ?
शायद मैं न होती, तू न होता ।

हम न होते , तो क्या होता ?
कर्म न होता ,धर्म न होता ।

धर्म न होता तो क्या होता?
तू-तू ,मै-मै न होती ,झगडा न होता ।

झगडा न होता तो क्या होता ?
हम न बंटते , और प्यार होता ।

और जरा सोचो .............


प्यार होता----- तो क्या होता ???
मिल के रहते , और गम होता




10 comments:

nilesh mathur said...

प्यार होता_ _ _ तो क्या होता
मिल के रहते, और गम ना होता,
वाह ! कमाल का लिखा है !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत सोच.....

परमजीत सिहँ बाली said...

वाह! बहुत बढिया!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

भूख न होती
भय न होता
सिर्फ प्यार होता
तो अच्छा होता

भूख है तो भय है
भय है तो भगवान है
भगवान है तो.....

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर....अगर दुनिया मै सिर्फ़ प्यार होता तो स्वर्ग की किसी को चाह ना होती.
धन्यवाद

दिलीप said...

pehle chhand ke ant me aasma fir agle me maa...isliye thoda khatka...waise shreshtha vichar....

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

बाल भवन जबलपुर said...

उत्तम सोच

Archana Chaoji said...

दिलीप जी आपने जो बताया है सही है ...पर उस वक्त मुझे आसमां के लिए कोई दूसरा शब्द नही सूझ रहा था .....

honesty project democracy said...

बहुत ही अच्छा विचार है / अच्छी विवेचना के साथ प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / आपको मैं जनता के प्रश्न काल के लिए संसद में दो महीने आरक्षित होना चाहिए इस विषय पर बहुमूल्य विचार रखने के लिए आमंत्रित करता हूँ /आशा है देश हित के इस विषय पर आप अपना विचार जरूर रखेंगे / अपने विचारों को लिखने के लिए निचे लिखे हमारे लिंक पर जाये /उम्दा विचारों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था है /
http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html

संजय भास्‍कर said...

वाह! बहुत बढिया!!