Sunday, July 28, 2013

आज हमारा जगराता है ....


एक गज़ल गिरीश पंकज जी के ब्लॉग सद्भावना दर्पण से सुनिए  ------------------
..............इनके बारे मे पढिये इस ब्लॉग पर.......

Saturday, July 27, 2013

दो बूँद ....





हाँ,
दो बूँद गिरी 
मेरे शहर में
भीगी थी जिसमें
मैं,
खुशबू बसी है
अब भी वही
महसूस कर जिसे 
बन्द होती हैं पलकें
मेरी...