Saturday, August 30, 2014

गीत जो गुनगुनाने का हुआ मन


1)
जिन्दगी ऐ जिन्दगी तेरे हैं दो रूप.....




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२)
करना फकीरी फ़िर क्या दिलगिरी सदा मगन मैं रहना जी ....

1 comment:

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

दोनों ही गीत अच्छे लगे । आवाज तो आपकी है पर बोल किसके हैं ।