Sunday, October 5, 2014

ये रात


ये रात
शुरू कब होती है
पता नहीं चलता ....
भागादौड़ी
के चक्कर में

और दिन ...
रात के आंचल में
दुबक के छुपा
रहता है
....
सुबह
पता चलता है कि
आँखों ही आँखों में
गुज़र गई रात ये .......
-अर्चना

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