Sunday, April 3, 2016

समय


1)
समय तुम बलवान
पर बल का मत करो गुमान 
.
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उसके घर देर है अंधेर नहीं........
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2)

वक्त आता है दबे पाँव
चला जाता है दबे पाँव
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हमें धप्पा-धप्पी नहीं खेलनी .....फुट!!!!!!!

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3)
हवा ,पानी और आग
धुआँ ,जलन और राख़


समय -समय की है बात !.........
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-अर्चना







5 comments:

Onkar said...

सुन्दर पंक्तियाँ

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... एक अलग अंदाज़ बात का ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-04-2016) को "कंगाल होता जनतंत्र" (चर्चा अंक-2302) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Shashi said...

So nice .

sameer said...

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