Monday, April 17, 2017

मूर्खता की बातें


हर रिश्ते में दो लोग होते हैं,जिसमें से एक- दूसरे को मूर्ख समझता है ।पति-पत्नी, पिता-पुत्र,शिक्षक-विद्यार्थी,फेसबुक के दो आई डी ,जैसे रिश्ते इस बात की पुष्टि करते हुए प्रतीत होते हैं आजकल ...
विवाहित अविवाहितों को और अविवाहित विवाहितों को ....
पशुओं की बात करें तो चूहा आदमी को बिल्ली चूहे को कुत्ता बिल्ली को आदमी कुत्ते को ...
आदमी दोनों श्रेणी में रखने योग्य है वजह उसकी मूर्खता की क्वालिटी के कारण
मूर्ख लोग भी क्वालिटी रखते हैं ,जिसकी मूर्खता को ज्यादा लोग पसंद करते हैं वो हाय प्रोफ़ाइल मूर्ख होता है
हाय प्रोफ़ाइल लोग अपने स्टेटस के अनुसार मूर्खो का चुनाव कर उन्हें मूर्ख साबित करते हैं ,ये हवा में उड़ाकर,जमीन से निकालकर ,पानी की तरह अपने रिश्तों का प्रदर्शन करते हैं और दुनिया में सबसे बेहतर तरीके से मूर्ख बनाये रखते हैं -इण्डिया हो या अमरीका
अब बात करें मूर्खता की ,मूर्खता वो गुण है जो हो तो सही,पर दिखाया न जाए ।अपनी जरूरत के समय इसका भरपूर उपयोग किया जा सकता है, अगर आप खुद को इस गुण से सुशोभित कर पाए तो आपका जीवन धन्य समझें।
इसकी विशेषता होती है कि समझी,सुलझी बात को न समझना और न सुलझने देना
आप कुलपति की कुर्सी पर हों तब भी नहीं
आप जज की कुर्सी पर बैठे हों तब तो बिलकुल भी नहीं ...
मूर्ख बनने के आसान तरीके-
सबसे पहले डिजिटल हो जाएं ,
जियो जियो कहते हुए मरने की आदत डाल ले
दाहिने हाथ में मोबैलास्त्र रखें सोते,उठते, खाते,पीते,यहाँ तक कि.... (छि: लिखने की मनाही है .)
बढ़ो कहते हुए कुनबे का पालन करें
झंडा फहराना सीख लें,झंडे के रंग की चिंता करे बगैर!
अपनी गाड़ियां हाइवे से हटा कर 500 मीटर दूरी बनाए रखते चलाएं।
मूर्ख न होने के नुकसान उठाने को तैयार रहें ।
आधार नामक चिड़िया को अंगूठे की गिरफ्त में रखने से मूर्खता की क्वालिटी पर फर्क पड़ सकता है।
...
चलो बहुत हुआ मैं कोई मूर्ख पुराण थोड़ी लिख रही हूँ ....
लाईक मारो और चलते बनो. जुगलबंदी में एक से एक अध्याय लिखे जा रहे हैं।इति।

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-04-2017) को

"चलो कविता बनाएँ" (चर्चा अंक-2620)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत said...

सच है जहाँ मूर्खता से काम चलता हो, वहां बुद्धिमत्ता दिखनी की जरुरत ही क्या है!

बहुत सही