जो कुछ चाहो , वो मिल ही जाए ,
ऐसा कभी नही होता है ।इसलिए जो कुछ मिले ,
उसे " चाह " लेना ही ठीक है ।
जो कुछ सीखो , सब आ जाए,
ऐसा कभी नही होता है ।
इसलिए जो कुछ आ जाए ,
उससे ही " सीख " लेना ठीक है ।
जो कुछ लिखा है , वो सब पढ लिया हो ,
ऐसा कभी नही होता है ।
इसलिए जो कुछ पढ लिया हो ,
उसे ही " याद रख लेना " ठीक है ।
जो कुछ सुना , सब समझ लिया ,
ऐसा कभी नही होता है ।
इसलिए जो कुछ " समझा " ,
उसे ही " कर " लेना ठीक है।
जो कुछ बोला , सब काम का हो ,
जरूरी नही होता है ,
लेकिन बडों की कही हर बात को ,
शान्ति से " सुन " लेना ठीक है ।
जो कुछ खो गया , वो फ़िर से मिल जाए ,
ऐसा हमेशा नही होता है ,
इसलिए जो मिल गया ,
उसे ही " सहेज " लेना ठीक है ।
खुशी और गम , किसी के पास ज्यादा होते है ,
किसी के पास कम ,
इनको समान करने के लिए ,
आपस मे " बांट " देना ही ठीक है ।
किसी भी उम्र में कोई भी व्यक्ति ,
कभी परिपूर्ण नही होता है ,
इसलिए हर छोटे- बडे की कही बात पर ,
" ध्यान " देना ही ठीक है ।
कोई भी संस्कृति या धर्म ,
किसी को बुराई नही सिखाता ,
इसलिए हर धर्म और संस्कृति को ,
हमेशा " मान " देना ही ठीक है ।
sachhi sundar baatkahi.
ReplyDeleteकोई भी व्यक्ति कभी परिपूरन नहीं होता......बिलकुल ठीक लिखा आपने..वाकई में आज ज़माना भी यही कहता है....ध्यान देना ही ठीक है..
ReplyDeleteहिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दें।
ReplyDeleteरचनात्मक ब्लाग शब्दकार को रचना प्रेषित कर सहयोग करें।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
बहुत ही सुंदर बातें कही ... बहुत अच्छी रचना।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी बात कही आपने ...मन को भायी
ReplyDeleteकोइ भी ब्लॉगर बिना टिप्पणी के
ReplyDeleteमर नहीं जाता है,
पर अच्छी पोस्ट पर
टिप्पणी करना ही ठीक है.
वाह! वाह! बहूत खूब!
ReplyDeleteमहक जी,रजनीश जी,संगीता जी,अनिलकान्त जी व रचना जी आपका धन्यवाद ।
ReplyDeleteसेंगर जी जल्दी ही कोशीश करूंगी । धन्यवाद।
सतीश जी ,क्या मै समझूं--पोस्ट पसन्द आई ।