Wednesday, July 15, 2009

क्या इतनी बुरी हु मै ??? मुझसे पूछती है -----ये कविताए .........

(मौसी) जी अब आप ही बताओ ??? इसमे किसका दोष है ???
यूं कि हम ज्यादा तो लिखते नही है ,पर जो लिखते है वो काम का हो भी सकता है और नही भी हो सकता है !!!
अब भला जब लोग पढेंगे ही नही तो बतायेगे कैसे कि ये काम का है भी या नही ??????????

लगता है जय ने अकेले ही सारी पढी !!!!!!!!!!!!!!! अगर वीरू होता तो बिना बताए नही रहता इन पर ???............. .......

---आव्हान

---सीख

---सुन मेरे दोस्त -----भाई ,बेटे आदि ----

---खुशी के दो पल

---कोई तो बताओ ???


या यूं कि क्या हमने इतना बुरा लिखा था , या कि ये इतनी बुरी है कि किसी ने भी प्रतिक्रया व्यक्त करना उचित नही समझा ?..........

या यूं कि इन पर किसी की नजर ही नही पड़ी ?..........शायद किसी को इधर -उधर देखने कि फुरसत ही नही मिली ????...............

या फ़िर तब मुझे कोई जानता ही नही था ????????.................. मै कौन हूँ ??? क्या अब भी नही जानता????

3 comments:

  1. ररे अरे आपको तो बहुत अच्छी तरह जानते हैं मगर ये रचनायें नज़र से रह गयी अब पढी है एक पर तो टिप्पणी दे दी बाके के लिये यहीं बताये देते हैं कि आप बहुत अच्छा लिखती हैण बधाई

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  2. एक पढ़ी बाकी की फुर्सत से पढेंगे

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  3. टिप्पणी पाने के लिये सबसे अच्छा और अचूक तरीका है कि आप स्वयं दूसरे के चिट्ठे पर टिप्पणी करें।

    मेरे विचार से टिप्पणी को छोड़िये। इसके पीछे पड़ेंगी तो दुख ही पाइयेगा।

    वह लिखिये जो आपके सबसे करीब हो। इसी मन प्रसन्न रहेगा।

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