न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
बहुत ही सुन्दर सीख भरी परोडी...अर्चना जी इसे डाउनलोड कैसे कर सकते हैँ?...मैँ अपने बेटे को सुनाना चाहता हूँ
छू कर....मेरे मन को///...की बहुत उम्दा पैरोड़ी...किसने गाई?? :)
ये आवज किस की है बहुत सुन्दर आभार्
॒ समीर जी और निर्मला जी, ये पेरोडी अर्चना जी ने खुद गाई है.. आये दिन वे अपनी आवाज सुनवाती रहती है, फ़िर भी आप पहचान नही पाये? :)
सुमधुर आवाज़ से ज़रूर अवगत कराएं---मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव
दोनों बहनों की आवाज एक सी लगती है..इसलिये. :)
बहुत ही सुन्दर सीख भरी परोडी...
ReplyDeleteअर्चना जी इसे डाउनलोड कैसे कर सकते हैँ?...मैँ अपने बेटे को सुनाना चाहता हूँ
छू कर....मेरे मन को///...की बहुत उम्दा पैरोड़ी...किसने गाई?? :)
ReplyDeleteये आवज किस की है बहुत सुन्दर आभार्
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ReplyDelete॒ समीर जी और निर्मला जी, ये पेरोडी अर्चना जी ने खुद गाई है.. आये दिन वे अपनी आवाज सुनवाती रहती है, फ़िर भी आप पहचान नही पाये? :)
ReplyDeleteसुमधुर आवाज़ से ज़रूर अवगत कराएं
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दोनों बहनों की आवाज एक सी लगती है..इसलिये. :)
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