चूँकि मै शिक्षा जगत से जुडी हूँ इसलिए ये बात कह रही हूँ----------कॄपया ध्यान दें--------
मेरे सामने हमेशा एक गम्भीर समस्या आई है शायद इसका सामना आप लोगों को भी करना पडता हो, इसलिए इस बात की ओर सबका ध्यान दिलाना चाहती हूँ---------
" हम अंग्रेजी स्कूलों में पढते हैं ,
इसलिए रोज जाने क्या-क्या नये शब्द गढते हैं ।
अंग्रेजी कुछ इस तरह बोलते हैं ---
और करते हैं भूल ,
जैसे--
यू नो--- जिस लडके ने कल डांस किया था---ही वाज सोSSS कूSSSल !!!
या फ़िर-----
कल जिस लडकी ने गाना गाया था ----शी वाज हाऊ ब्यूटीफ़ूSSSल !!!
ये तो थी पहली समस्या ...........
अब दूसरी की ओर बढते हैं,
और समस्या नम्बर दो की पायदान चढते हैं----
बिहारी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, बंगाली, हरियाणवी,
आदि भाषाएं हम सुनते हैं ,
और चूँकि मध्य-प्रदेश के वासी हैं, तो
इस भाषा में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देने के लिए --
हिन्दी को ही चुनते हैं ,
और अन्त में ---तीसरी समस्या के रूप में आती है ,साऊथ की बारी --
और ये समस्या पहली दोनो समस्याओं से भी है भारी ,
वहाँ की भाषाएँ बहुत मधुर ,मीठी और सुरीली है ,
क्योंकि वे हमारी जड यानि संस्कॄत से जुडी हुई हैं ,
वहाँ के लोग जो भाषाएँ बोलते है ---
वो हमारे ऊपर से जाती है ,
और हमारी भाषा ,
उनके उपर से जाती है ,
जब हम आपस में मिलते है तो---
खडे रहते हैं दोनो आमने -सामने मुस्कुराते हुए ,
और एक दूसरे की बात समझ गये-- ये जताते हुए ,
तो आओ इन समस्याओं का हल निकालें,
हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है---ये सबको दिखा दें,
हम सब कहीं भी रहें ,कैसे भी बोलें--पर
अन्याय, अत्याचार , और आतंकवाद से निपटने के इरादे से आगे आएँ ---
और जब भी मौका मिले ---राष्ट्रगीत ऊँचे परन्तु समवेत स्वर में गाएँ ---
इन तीनों समस्याओं को दूर करने का यही है एक उपाय ,ऐसी मुझे आशा है ---
क्योंकि आखिर "हिन्दी हमारी मातॄभाषा है ! ! ! ! !"
धन्यवाद। किसी को तो अपनी मॉं की बोली की फिक्र है।
ReplyDeletea sentence spoken through heart needs no language.
ReplyDeleteदिल से कही गयी बातों को भाषा की नहीं बल्कि भावों की ज़रूरत होती है ।
हिन्दी को संपूर्ण भारत को स्वीकार करना चाहिए..क्षेत्रीय भाषा का महत्व अपने क्षेत्र तक है राष्ट्रीय स्तर की बात करे तो वहाँ एकता की ज़रूरत है...बढ़िया प्रसंग..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.... हिंदी हमारी मातृभाषा है... मात्र एक भाषा नहीं.... बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आप की यह पोस्ट। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपकी रचना आँखें खोलने का काम करती है
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट लिखा है आपने .. कब आंख खुलेगी सबकी !!
ReplyDeleteआप की कलम को सलाम, बहुत अच्छा लिखा आप ने धन्यवाद
ReplyDeleteसधे ढंग से कही गयी बात ! रचना के मनोहारी रूप ने भी लुभाया ।
ReplyDeleteआभार ।
सुन्दर पोस्ट!
ReplyDeleteपसंद आया हिन्दी चिंतन...
ReplyDeletebahut sahi kaha aapne...badhayee
ReplyDeleteसार्थक चिंतन एवं समुचित आकलन !
ReplyDelete