Sunday, March 14, 2010

न किसी से शिकायत ........न गिला ...........न शिकवा ...........बस अपनी बात ................उनसे ...........

मैंने कल अपनी शादी की पच्चीसवी वर्षगाठ मनाई , हमें बिछड़े हुए चौदह साल बीत गए ,पर मै तुम्हे अब तक भूल नहीं पाई,तुम नहीं दे सकते थे ,ये बात तो मैंने मानी ,पर जो दे सकते थे ,उन्होंने मुझे क्यों नहीं दी बधाई ?ये बात मै समझ नहीं पाई,वैसे मै अकेली नहीं थी ,मैंने दिन भर तुम्हे अपने साथ पाया ,मगर तो मेरे और तुम्हारें ही परिवार से ,किसी का भी बधाई का एक फ़ोन आया ,मुझे अपनी शादी का हर एक वो लम्हा याद आया ,जब पहली बार मैंने तुम्हे देखा था ,या वो जब हमने रस्मो का सिलसिला निभाया था ,खैर !!!! तुम्हे याद करके ही ,दिन का हर एक पल गया ,और सूरज रोज की तरह आया ,रोज की तरह ही ढल गया ,मुझे नहीं पता यादो का ये सिलसिला कब तक और ,कितने साल जारी रहेगा ....
इतना जरूर
कह सकती हूँ कि---जब भी यादे आएँगी ,वो पल बिताना मुझ पर भारी रहेगा .......................

(26/11/09 कों लिखी थी )



Friday, March 5, 2010

एक सवाल .............................सबसे .............

खुशियों का त्यौहार है , फिर दिल में क्यों गम है ?
पकवानों में वही मिठास , फिर क्यों लगता है कुछ ...कम है ?
सब पहले जैसा करने की कोशिश में , फिर आँखे क्यों नम है ?
रंगों का मौसम है , फिर क्यों सूने हम है ?
रंपंमी की भी को धा !!!!!!!!!