Friday, March 5, 2010

एक सवाल .............................सबसे .............

खुशियों का त्यौहार है , फिर दिल में क्यों गम है ?
पकवानों में वही मिठास , फिर क्यों लगता है कुछ ...कम है ?
सब पहले जैसा करने की कोशिश में , फिर आँखे क्यों नम है ?
रंगों का मौसम है , फिर क्यों सूने हम है ?
रंपंमी की भी को धा !!!!!!!!!

4 comments:

  1. आपको भी बहुत-बहुत बधाई ।

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  2. रंगो के अपने मायने अपने अर्थ खो गये है
    देखिये तो सही ये कितने बदरंग हो गये हैं

    रंगपंचमी की बधाई

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  3. यही जीवनधारा है...


    रंगपंचमी की बधाई

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  4. आपको भी रंगपंचमी की बधाई

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