Wednesday, April 7, 2010

आप भी लिखे ..................दो पन्क्तियां.............

आज देखिए बेटे की ये पेन्टिंग ......................



और पढिए इस पर मेरे दिल से निकली ये पन्क्तियां.............


जाने कब से घूम रहा था ,थका समय का पहिया
पीठ टिकाकर थोडा सुस्ताया,जगह देख कर बढिया

अब आप भी लिखे ........इस पर आपके दिल से निकली..............
दो पन्क्तियां.............



इन्होने लिखी दो पंक्तियाँ......
परमजीत बाली
बिन पहिये के सब रुक जाता
समय का है यह पहिया
जीवन तब तक ही चलता है
जान गये हम भैया।


जनदुनिया
मंजिल दूर अभी बहुत है, सोचने का मौका मिला
नई ऊर्जा से फिर घूमेंगे, सोच रहा है पहिया





5 comments:

  1. बहुत सुन्दर पेंटिग है आप के सुपुत्र ने।बहुत बहुत बधाई।

    बिन पहिये के सब रुक जाता
    समय का है यह पहिया
    जीवन तब तक ही चलता है
    जान गये हम भैया।

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  2. मंजिल दूर अभी बहुत है, सोचने का मौका मिला
    नई ऊर्जा से फिर घूमेंगे, सोच रहा है पहिया

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  3. आपके बेटे की चित्रकारी उम्दा है

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  4. चित्रकारी बढ़िया है..पंक्तियाँ लोग जोड़ ही रहे हैं.

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  5. जीवन के इस समयचक्र का घूमता पहिया,
    ढून्ढ रहा हे इस उम्र मे ठौर ठिकाना बढिया,
    लग उसे कि हे प्रभु कब तक घूमता रहू मै,
    फिर सोच नियति के चक्र से कब बच हु मै.

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