--------इस माह के खतम होते-होते गर्मियो की छुट्टियाँ शुरू हो जाएगी ..............कईयों की श्रीमतिजीयाँ
बच्चॊ को लेकर मामा के घर चली जाएगी और उसके बाद श्री लोगों का जो हाल होने वाला है..........उसके लिए ये पुर्वाभ्यास ....... आज ये ...........पेरोडी ( विरह गीत ) ।.............चाहें तो अपनी आवाज मे रिकार्ड करें......................
-----(साथ की पेंटिंग वत्सल की बनाई हुई है) .................
इसे पिछ्ले साल सागर जी की एक पोस्ट पर टिप्पणी के रूप मे भेजा था , तब पोडकास्ट करना नही आता था।आभारी हूँ सागर जी की जिन्होने अपना अमूल्य समय देकर प्लयेर लगाना सिखाया ............(ब्लोग जगत में मदद करने वालों की कमी नही है ------बस मदद मांगने की देर है...........
पढिए सागर जी का २९/०६/२००९ को मुझे भेजा ये मेल -----
""""आदरणीय अर्चना जी,
मेल का जवाब बहुत देरी से देने के लिये क्षमा चाहता हूं। मैने ईस्निप्स पर आपका एक खाता खोला है। जिसकीआपको एक मेल मिली होगी। मेल में एक वेरिफिकेशन का लिंक होगा बस उस पर एक बार क्लिक कर दें। क्लिककरने के बाद ही आपका खाता चालू होगा।; और वहां हम अपने गाने अपलॊड कर उन्हें अपने ब्लॉग पर आसानी सेबजा सकेंगे।
जब आप वेरिफिकेशन वाले लिंक को क्लिक करलें मुझे बतायें जिससे मैं आपके और रचनाजी के गाये गीत कोवहां अपलोड कर सकूं और उसका सचित्र तरीका आपको बता सकूं।
मैं गाने को अपने ब्लॉग पर भी लगा देता हूं, लेकिन मैं चाहता हूं कि आप भी यह पॉडकास्ट का तरीका सीखें।
मैं कई दिनों से आपसे पूछने वाला था कि आपकी बहन कौनसी रचनाजी हैं.. लेकिन रचना बजाज जी ने ही बता दिया कि आप उनकी बहन है। :)
एक बार फिर से क्षमा मांगता हूं।""""""
पेरोडी ( विरह गीत )
किचन में हो जायेंगे कॊकरोच छोटे—
गई हो जो —
रोटी जल जाए सब्जी जो छौंके,
सब्जी जल जाए रोटी जो पलटें,
रोटी जले , सब्जी जले ,हलके-हल्के —
गई हो जो सजनी —-
सब्जी जल जाए रोटी जो पलटें,
रोटी जले , सब्जी जले ,हलके-हल्के —
गई हो जो सजनी —-
कमर टूट जाए कपडों को धोके ,
कभी ना हो पाए झाडू और पोछे
आ भी जाओ काम करेंगे हम तुम मिलके—
गई हो जो सजनी —-
कभी ना हो पाए झाडू और पोछे
आ भी जाओ काम करेंगे हम तुम मिलके—
गई हो जो सजनी —-
यहाँ तो बीबी कहीं अकेले जाती नहीं, तो काम न आ पायेगी.
ReplyDeleteवैसे है बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteओह!!! ...
ReplyDeleteधन्यवाद.....
are vaah vaah....kyaa khoob....!!
ReplyDeleteगुरुदक्षिणा के रूप अपका यह उपहार हमें बहुत पसन्द आया। लाजवाब गीत।
ReplyDelete:)
कर लो कर लो ... हमारी मजबूरी पर कटाक्ष ... ;)
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