न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Saturday, July 10, 2010
संगठन मे शक्ति-----------------एक कहानी ----------(सबके लिए )..............................मेरी आवाज में ....................
आज एक कहानी----------------------------------- सुनिए और समझिए ----------------------------------जो मैने हिन्दी की पाठ्य पुस्तक से पढी.....लेखक ---डॉ, रनवीर सक्सेना ------
इस कथा को आपके स्वर में सुनना अच्छा लगा!
ReplyDeleteकथा सुन्दर .. सुनाने का अन्दाज सुन्दर
ReplyDeletekahani aur aavaj dono hi sundar
ReplyDeleteinteresting.........
ReplyDeleteसुंदर कहानी........ सुंदर आवाज़
ReplyDeleteऔर बहुत ही मनमोहक अंदाज़ में प्रस्तुति...
आभार.