Monday, September 27, 2010

खेल-खेल में मेरी एक कविता बच्चों को समर्पित...

आज किसी की नहीं मेरी एक कविता मेरे स्वर में सारे बच्चों को समर्पित--




एक प्रेरणादायक प्रसंग यहाँ भी 

13 comments:

  1. खेल और पढाई की दोस्ती अच्छी है।

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  2. पढाई ने हमेशा खेल को ही हराया है।
    खेल की उंगली और पढाई का हाथ थाम लेना।

    रिकार्डिंग में कुछ रुकावट है बीच बीच में।

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  3. खेल की उंगली और पढाई का हाथ थाम लेना।

    रचना के माध्यम से बच्चों को बहुत प्यारा संदेश दिया...बधाई.

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  4. आपके स्वर में बच्चों को समर्पित कविता तो
    बढ़िया ही होगी!
    --
    मगर मेरे यहाँ प्लेयर खुल ही नही रहा है!

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  5. बड़ी कोमल व सुन्दर कविता।

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  6. बच्चो के लिये लिखना बहुत ज़रूरी है

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  7. बहुत सुंदर केल खेल मै ही पढाई भी, धन्यवाद

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  8. अपनी बिटिया को यह कविता बैठ कर सुनवाई,
    इसे भी यह सीख पसंद आई,
    बोली, बुआ ने यह कविता पढकर सुनाई है
    यह सीख तो हमारे बड़े काम आई है.
    खेल की उँगली थामे, प्रकृति की गोद में बैठे
    पढाई का हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे,
    इतिहास के पन्नों में अगर दर्ज नहीं हो पाए
    तो क्या
    हम एक नया इतिहास ही रच देंगे
    हम एक नया इतिहास ही रच देंगे!!

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  9. बहुत बढ़िया रही यह सीख भरी कविता!
    --
    आज प्लेयर खुल गया!

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  10. शुक्रिया सुनने के लिए समय देने का...
    @सलील भाई साहब आभारी हूँ आपकी इस आत्मीय रिश्ते के लिए...बिटिया को स्नेहाशीष...और नया इतिहास रचने के लिए शुभकामनाएं...

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  11. रोचक एवं प्रेरक बाल कविता

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