न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Sunday, December 5, 2010
देखते ही देखते बदल जाते है-------
देखते ही देखते बदल जाते है-------
सड़क,शहर और लोग...
चीजें,जरूरते और भोग...
पैसा, ख्वाहिशे और अरमान...
घटना,गवाह और फ़रमान...
संबंध,नाते और रिश्ते...
इंसान,हैवान और फ़रिश्ते...
परिवर्तन संसार का नियम है .... बदलना तो नियति है ...
ReplyDeleteसही कहा!
ReplyDeleteदुनिया ही परिवर्तनशील है!
बदलना तो नियति है ...
ReplyDeleteपरिवर्तन नियम है, पर अतिपरिवर्तन व्युतक्रम है।
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete