

इन्दौर में विकास कार्य सुचारू रूप से चलता दिख रहा है,जगह-जगह सड़के खोद दी गई है ताकि लोगों को दिन-रात चर्चा करने के विषय मिलते रहें काम की बातों के बारे में कोई कुछ न सोच पाए।जिससे बेरोजगारी की समस्या काफ़ी हद तक हल हो सकती है ।

आवागमन सुचारू व नियोजित रूप से चलाने की जिम्मेदारी स्वयं वाहन चालकों को सौंप दी गई है इस सम्बन्ध में उनका स्वनिर्णय ही उन्हे अन्तिम छोर पर अपनी मंजिल तक पहुँचाने में सहयक सिद्ध हो रहा है ।

सुबह-सुबह राजीव गाँधी प्रतिमा से शिवाजी वाटिका तक का सफ़र काफ़ी रोमान्चक होता है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए व राजस्व बढ़ाने के लिए ऐसे नजारे शायद कहीं और देखने को न मिलेंगे।
कुछ अंदाजन व स्वसूत्रों से जानकारी मिली है कि सड़कों के किनारों पर पार्किंग की व्यवस्था आम नागरिक को उपलब्ध करवाई गई है ,जिससे कि ट्रक,बस,टेंकर मालिकों में खुशी की लहर दौड़ी होगी।
कुछ विशेष जगह जो देखने योग्य बन पड़ी है---
१-दीनदयाल उपवन के सामने ----सुबह आठ से साढ़े नौ बजे तक----जहाँ सब्जी वाले एक के पास एक ठेला कतारबद्ध रूप से रोककर सब्जियों को (पानी की टंकी के सामने)स्वास्थ्य कारणों से बेचने से पहले धोते हैं। साथ ही स्वल्पाहार का आनंद भी लेते हैं।

३-नौलखा चौराहा-------समय दिन भर कभी भी -----जहाँ चौराहे का भरपूर उपयोग किस तरह किया जाता है ...किस ओर से किस ओर जाया जा सकता है,मोड़ शुरू होने के पहले व बाद में कहाँ तक खड़े रह सकते हैं,लाल बत्ती होने पर भी सभी गाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए आगे कैसे जाया जा सकता है ----आप सीख सकते हैं।
और भी कई जगहें हैं ---देखने योग्य सड़कों में होते गढ्ढे और फ़िर गढ्ढों पर बनती सड़कें देखना हो तो -------बस कोई भी एक रोड़ पर सीधे चलना शुरू कर दिजीये...............
वैसे इस विकास कार्य में योगदान देने के लिये ओघे,ईय,अन,अर्मा,अंकी,जैसे लोग ---ऎ..................ता खेलते हैं (जैसे छोटे बच्चों के साथ छुपाछुपी का पहला खेल खेलते हैं)(शाहिद-करीना की फ़िल्म देखकर "फ़" के बदले "अ" की आदत हो गई है आप लोग समझ ही गए होंगे)........
har shahar kee ek see dashaa hai
ReplyDeletebahut umda post
ReplyDeleteयहाँ भी, इसमें भी लय और ताल ढूंढ ली?
ReplyDeleteबड़ी ऐंटास्टिक टाईप की पोस्ट लिखी है इस बार:)
बाबू जी धीरे चलना.... बडे खड्डॆ हे इंदोर मे..
ReplyDeleteअब पता नही यह विकास कार्य हे या नाश कार्य? वेसे पागलो की तरह काम करना तो विकास भी नाश कार्य लगता हे
ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार
ReplyDeleteकई वर्ष पूर्व इंदौर आया था, अच्छा शहर लगा।
ReplyDeleteब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद
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