न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
chaah ho prabal to lakiren ubhar aayengi...
बहुत खूब ..रश्मि जी की बात पर गौर कीजिये ..
उम्र के साथ सारी लकीरें गायब हो जाती हैं।
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
वाह ……………बहुत सुन्दर्।
बहुत खूब
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|
बहुत सुन्दर ....
लकीरें सिर्फ उलझाव पैदा करती हैं... तुम जैसी बहादुर औरतें लकीरों के लिखे को बदलने का जूनून रखती हैं!!
जीवन के अनुभूत सत्य को सामने लाती पंक्तियाँ ...आपका आभार
ये यादें ही तो हैं जो बची रह जाती हैं...
Today is documentation indisposed, isn't it?
यादें मधुर एहसासों के. सुंदर रचना.
chaah ho prabal to lakiren ubhar aayengi...
ReplyDeleteबहुत खूब ..रश्मि जी की बात पर गौर कीजिये ..
ReplyDeleteउम्र के साथ सारी लकीरें गायब हो जाती हैं।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
ReplyDeleteवाह ……………बहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteलकीरें सिर्फ उलझाव पैदा करती हैं... तुम जैसी बहादुर औरतें लकीरों के लिखे को बदलने का जूनून रखती हैं!!
ReplyDeleteजीवन के अनुभूत सत्य को सामने लाती पंक्तियाँ ...आपका आभार
ReplyDeleteये यादें ही तो हैं जो बची रह जाती हैं...
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ReplyDeleteयादें मधुर एहसासों के. सुंदर रचना.
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