इन्तजार,इन्तजार है
उसमें जितना गुस्सा
उतना ही प्यार है..
रोक नहीं सकता
कोई किसी को
इन्तजार करने से
क्योंकि ये हर किसी का
अपने महबूब से
प्यार का इज़हार है ....
उसमें जितना गुस्सा
उतना ही प्यार है..
रोक नहीं सकता
कोई किसी को
इन्तजार करने से
क्योंकि ये हर किसी का
अपने महबूब से
प्यार का इज़हार है ....
कोई रोकने वाला न हो, तभी प्रतीक्षा होती है।
ReplyDeletebahut hi achhi rachna
ReplyDeletea nicely expressed voice of the soul, intazar pyar ke izhar ke saath hi pyar ke aaveg ko badane wala bhi hai
ReplyDeleteबढ़िया रचना...
ReplyDeleteसादर...