न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
aise hi bade ho jate hain ... jane kab aur dheere dheere hum chhote ho jate hain , hai n ?
आपके गर्व को अनुभव कर रहा हूँ।
अब तो दो के चार होने की तैयारी है, शायद.
फेसबुक वाला ही कमेन्ट यहाँ भी कर रहा हूँ... अपने चश्मे का नंबर चेक करवा लो, बच्चे कभी बड़े नहीं होते!! न माँ की नज़रों में - न माँ-माँ (मामा) की नज़रों में!!!:)
खुशी के पल ...छोटे बच्चे हो या बडे ...वो पल वैसे ही रहेंगे
बच्चों की मासूम छवि में प्रभु नजर आते हैं.आपके पोता पोते हैं या धेवता धेवती.फोटो अच्छी लगी.आप मेर ब्लॉग पर क्यूँ नही आतीं हैं अर्चना जी.
शुभकामनाएं और आशीष।
शुभकामनाएं शुभकामनाएं शुभकामनाएं शुभकामनाएं
इस पोस्ट को देख अपने ही गीत की दो लाइन याद आ रही है...माँ के आँचल में छुप जानाघुटनों के बल चलते-चलतेबचपन था एक खेल सुहानाकहीं खो गया चलते-चलते।
aise hi bade ho jate hain ... jane kab aur dheere dheere hum chhote ho jate hain , hai n ?
ReplyDeleteआपके गर्व को अनुभव कर रहा हूँ।
ReplyDeleteअब तो दो के चार होने की तैयारी है, शायद.
ReplyDeleteफेसबुक वाला ही कमेन्ट यहाँ भी कर रहा हूँ... अपने चश्मे का नंबर चेक करवा लो, बच्चे कभी बड़े नहीं होते!! न माँ की नज़रों में - न माँ-माँ (मामा) की नज़रों में!!!
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खुशी के पल ...छोटे बच्चे हो या बडे ...वो पल वैसे ही रहेंगे
ReplyDeleteबच्चों की मासूम छवि में प्रभु नजर आते हैं.
ReplyDeleteआपके पोता पोते हैं या धेवता धेवती.
फोटो अच्छी लगी.
आप मेर ब्लॉग पर क्यूँ नही आतीं हैं अर्चना जी.
शुभकामनाएं और आशीष।
ReplyDeleteशुभकामनाएं शुभकामनाएं शुभकामनाएं शुभकामनाएं
ReplyDeleteइस पोस्ट को देख अपने ही गीत की दो लाइन याद आ रही है...
ReplyDeleteमाँ के आँचल में छुप जाना
घुटनों के बल चलते-चलते
बचपन था एक खेल सुहाना
कहीं खो गया चलते-चलते।