जी सही समझे आप ....आज मिलवा रही हूँ अपने छोटू उस्ताद से ..
अभी तो जस्ट शुरूआत है..देखिए आगे-आगे करते हैं क्या ----
नीले पुलोवर वाला लड़का
अभी तो जस्ट शुरूआत है..देखिए आगे-आगे करते हैं क्या ----
नीले पुलोवर वाला लड़का
पुराने नीले पुलोवर-वाला,
वह लड़का उछलता कूदता,
सड़क पर शोर मचाता,
भागा जाता था, खुशी के मारे|
मैंने उसे रोका और टोका,
"क्यों, क्या हुआ? इतने खुश क्यों हो?"
उसने एक पांच का सिक्का निकाला,
और बोला "मुझे ये सड़क पर मिला!"
ऊपर उठाया सिक्के को,
सूरज की रोशनी में वो झिलमिलाया|
"और तुम इसका क्या करोगे,
ओ, नीले-पुलोवर-वाले छोटू बाबू?"
"मैं...मैं खरीदूंगा, खरीदूंगा
अपनी बेल्ट की बकल!"
पतला लड़का वह, समझदार है...
बकल खरीदेगा...
और वह दौड़-भागा, हँसते खिलखिलाते,
सिक्का वह उसकी गर्म मुट्ठी में कसकर बंद...
जो मैंने खोया था कुछ वक़्त गए,
था ये सिक्का वही,
मगर बेहतर उस नीले-पुलोवर वाले
लड़के के पास ही!
(रस्किन बौंड की कविता 'अ बॉय इन अ ब्लू पुलोवर' का हिन्दी अनुवाद)
वह लड़का उछलता कूदता,
सड़क पर शोर मचाता,
भागा जाता था, खुशी के मारे|
मैंने उसे रोका और टोका,
"क्यों, क्या हुआ? इतने खुश क्यों हो?"
उसने एक पांच का सिक्का निकाला,
और बोला "मुझे ये सड़क पर मिला!"
ऊपर उठाया सिक्के को,
सूरज की रोशनी में वो झिलमिलाया|
"और तुम इसका क्या करोगे,
ओ, नीले-पुलोवर-वाले छोटू बाबू?"
"मैं...मैं खरीदूंगा, खरीदूंगा
अपनी बेल्ट की बकल!"
पतला लड़का वह, समझदार है...
बकल खरीदेगा...
और वह दौड़-भागा, हँसते खिलखिलाते,
सिक्का वह उसकी गर्म मुट्ठी में कसकर बंद...
जो मैंने खोया था कुछ वक़्त गए,
था ये सिक्का वही,
मगर बेहतर उस नीले-पुलोवर वाले
लड़के के पास ही!
(रस्किन बौंड की कविता 'अ बॉय इन अ ब्लू पुलोवर' का हिन्दी अनुवाद)
अनुवादक - अनुभव प्रिय
यह छोटे उस्ताद और रस्किन बांड की कविता
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteवाह! मजा आ गया...
ReplyDeleteयह सुंदर रचना पढ़वाने के लिए आभार
ReplyDeleteअनुभव से हाल ही में परिचय हुआ है, प्रभावित हूँ। काव्यानुवाद पसन्द आया।
ReplyDeleteअहा, बेहतरीन अनुवाद..
ReplyDeleteबढि़या। रस्किन बॉण्ड के लेखन का तो मैं दीवाना हूँ। अनुवाद भी स्तरीय है।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ..अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteखुबसूरत अनुवाद... सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteछोटू उस्ताद से परिचय बहुत बढ़िया रहा...
सादर.
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ-छोटे मियाँ सुब्हान अल्लाह!!
ReplyDeleteपरिचय को विस्तार दें कृपया...
ReplyDeleteवाह छोटे उस्ताद
ReplyDeleteसुंदर रचना पढ़वाने के लिए आभार
शब्द और स्वर का संगम आपकी पोस्ट की खासियत रही है हमेशा से दी । आज छोटू उस्ताद से मिलकर र भी जानने की इच्छा उत्कट हो गई है । उडन जी की फ़रमाईश में अब मैं भी शामिल हो गया हूं । रस्किन को अंग्रेजी में खूब पढा है अब अनुवाद पढना और भी रोचक लगा । छोटी उस्ताद को हमारा स्नेह और शुभकाकनाएं
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