Friday, June 15, 2012

कॄष्ण की चेतावनी -- रामधारीसिंह ‘दिनकर’

आज प्रस्तुत है रामधारीसिंह "दिनकर" जी की एक कविता  ---
कॄष्ण की चेतावनी--

इसे सुनिये मेरी आवा़ज़ में  ---

17 comments:

  1. क्‍या बात है ... बहुत ही बढिया ।

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  2. बहुत ही उम्दा गीत, आभार

    पूर्णिमा को एक महाकाव्य रचा गया रामगढ में मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से।

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  3. जितनी अद्भुत रचना उतना सुन्दर स्वर

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  4. ओह ... मेरा ऑडि‍यो काम नहीं कर रहा है आज फि‍र

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  5. बहुत बढिया!

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  6. आप कैसे इतना अच्छा पॉडकास्ट कर लेती हैं??????मुझे भी कोई टिप्स दीजिए!! :) :) :)

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  7. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  8. उत्कृष्ट प्रयोग
    बधाइयां

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  9. पाडकास्टिंग की शुरुआत किसी ने भी की हो आगे का काम आप ने ही किया है

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  10. कृष्ण का सर्वकालिक सन्देश के सस्वर वाचन के लिए अनेकों बधाई .......
    दिनकर जी रचना मेरी पसंदीदा हैं शिक्षक होने के नाते मै खुद भी गाकर ही आनंद लेता हूँ ...

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  11. मेरी प्रिय कविताओं में से एक|
    रमाकांत सिंह जी की आवाज में भी ये कविता हम सुन सकें, ऐसा कुछ हो सके तो अच्छा लगेगा|

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  13. बहुत सुन्दर....ओजस्वी वाणी...बधाई.

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  14. जंजीर बढ़ा कर साध मुझे , हाँ हाँ दुर्योधन बाँध मुझे ...
    मुझमे सारा ब्रह्माण्ड देख !
    मेरी प्रिय कविताओं में से एक ...
    बढ़िया !

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  15. रश्मिरथी पूरे महाभारत का नायक जिसके साथ सबने छल किया यहाँ तक कि माता भी. दिनकर जी का अद्भुत खंड काव्य और आपने इसे बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया.
    मैं सातवीं कक्षा में था जब पहली बार इसे पढ़ा था. और कृष्ण की तरह बोलता भी था. आज सुनकर बाली अवस्था का स्मरण हो आया.
    धन्यवाद आपको.

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  16. रश्मिरथी से मुझे सिर्फ दादा जी की याद आती है!! मैं पूरे स्वर में पढता था था और दादा जी की आँखों से आँसू बहते थे!!
    बहुत सुन्दर!!

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