(चित्र एक ग्रुप- साहित्यिक मधुशाला की वॉल से लिया है)
वादे के बाद
मेरे जाने के बाद
रोई क्यों तुम?...
रोया ना करो
मोती गिर जाते हैं
चमकीले से...
बूँदों को मिली
पलकोंकी पालकी
मुझे क्या मिला?...
थाम लो मुझे
मेरे आँसू कहते
बरस बीते...
रूको तो साथी
तुम तो मत जाओ
साथ चलेंगे...
मोती की लड़ी
ठहर-ठहर के
आँखों से झड़ी...
किस विध से
मैं नीर नयन का
रोकूँ साजन?...
बिखरे सारे
मोती मेरे मन के
टूटी मनका...
तनहा शाम
फ़िर उदास मन
छलका जाम...
मोती क्यूँ झरे
यूँ पलकों के तले
तुम क्या जानो...
जंग अश्कों से
न जीती जाती कोई
हँस के देखो...
-अर्चना
वादे के बाद
मेरे जाने के बाद
रोई क्यों तुम?...
रोया ना करो
मोती गिर जाते हैं
चमकीले से...
बूँदों को मिली
पलकोंकी पालकी
मुझे क्या मिला?...
थाम लो मुझे
मेरे आँसू कहते
बरस बीते...
रूको तो साथी
तुम तो मत जाओ
साथ चलेंगे...
मोती की लड़ी
ठहर-ठहर के
आँखों से झड़ी...
किस विध से
मैं नीर नयन का
रोकूँ साजन?...
बिखरे सारे
मोती मेरे मन के
टूटी मनका...
तनहा शाम
फ़िर उदास मन
छलका जाम...
मोती क्यूँ झरे
यूँ पलकों के तले
तुम क्या जानो...
जंग अश्कों से
न जीती जाती कोई
हँस के देखो...
-अर्चना
आंसुओं के कितने सारे रंग दिखा दिए तुमने अपने इन हाइकू में!! सारे एक से एक!!
ReplyDeleteमेरे जाने के बाद
ReplyDeleteरोई क्यों तुम?...
सच में गज़ब की होती है ये हाइकुएँ
दल को छू लेती हैं
मैं इसे ले जा रही हूँ..नई-पुराननी हलचल के लिये
आप भी आइए न इसी बुधवार को मिल-बैठ कर पढ़ेंगे इसे
सादर
वाह.... खूबसूरत हाइकु
ReplyDeleteवादे के बाद
मेरे जाने के बाद
रोई क्यों तुम?...
*******
वादा तो किया
पर , जाने से तेरे
रुके न आँसू ।
बहुत ही प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteरोया न करो
ReplyDeleteमोती गिर जाते हैं
चमकीले से
सचमुच रुला गए
निःशब्द करते लाइन
भावभीनी कविता, प्रेरक सन्देश!
ReplyDeleteसभी बढ़िया हाइकु हैं .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू . पढ़कर के अच्छा लगा
ReplyDeletevery sentimental poetry
ReplyDelete:)))
ReplyDeleteरोई क्यों तुम?...
isme char akshar hain.... di:-D
waise tum lajabab ho:)
वाह सुंदर रचना है कोमल सी
ReplyDeleteबढ़िया हाईकू!!!
ReplyDeleteवादे के बाद
ReplyDeleteमेरे जाने के बाद
रोई क्यों तुम?...
*******
वादा तो किया
पर , जाने से तेरे
रुके न आँसू ।
जबरदस्त ...
वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteखूबसूरत कविता जो मन को छू गई।
खूबसूरत हाइकू ...हर आँसूं का रंग निराला है
ReplyDeleteबूँदों को मिली
ReplyDeleteपलकोंकी पालकी
मुझे क्या मिला?..
Very Nice..!
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteसादर
वाह...सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हायेकु अर्चना जी....
ReplyDeleteबेहद प्यारे सभी .....
सादर
अनु
सुंदर हाइकू ।
ReplyDeleteये वाली
जंग अश्को से
नही जीती जाती कोई
हंस के देखो ।
बहुत सही ।
ये बात नहीं की गम नहीं ,हाँ मेरी ऑंखें नम नहीं
ReplyDelete