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.रीवा से वापस लौटते समय किसी स्टेशन के आऊटर पर रूकी ट्रेन ...और दिवाली के स्वागत में सजा ये घर देखा.....बच्चे अपनी पूरी मस्ती में ....एक ओर जहाँ बाजू के घर में भैया मोबाईल में व्यस्त हैं,वहीं पडोस की आँटी जी शाम का खाना बनाने की तैयारी में व्यस्त ...हर कोई अपना-अपना काम कर रहा है ...(मैं भी ...)....और जब ट्रेन चल पड़ी तो ..टाटा करना नहीं भूली छुटकी गुड़िया.....
और तुम हमेशा अकेलेपन और उदासी की बात कराई हो.. सारी दुनिया और दुनिया के अनजाने लोग तुम्हारे जाने-पहचाने बन जाते हैं.. जैसे ये छुटकी.. तुम्हें बाय कहती हुयी!! :)
ReplyDeleteकेवल आंखो के होने से कुछ नहीं होता ज़िन्दगी को देखना आना चाहिए ... :)
ReplyDeleteपृथ्वीराज कपूर - आवाज अलग, अंदाज अलग... - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
अच्छी दीपावली दिखाई आपने
ReplyDeletepersonally मुझे बचपन पर लिखना बहुत पसंद है , आपने एक और टॉपिक दे दिया , कोशिश करूँगा |
ReplyDeleteमुझे अपना एक वाकया याद आ रहा है , मैं ट्रेन से घर जा रहा था , रास्ते में एक बच्ची उस ट्रेन को टाटा कर रही थी | जब मेरा कोच उसके सामने से गुजरा तो मैंने देखा कि उसकी नाक बह रही थी और वो रो रही थी |
आज भी समझ नहीं आया कि वो रोते हुए टाटा क्यूँ कर रही थी ?
सादर
बहुत बहुत सुन्दर पोस्ट !
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ReplyDeleteएक भागती ज़िन्दगी ट्रेन में..
एक ठहरी सी, उस लड़की की......
अनु
आप तो चित्रों में सपने क़ैद कर लायीँ।
ReplyDeleteचित्रों को बहुत सुन्दर कैद किया है
ReplyDeleteसबके लिए हो शुभ दीपावली ..
ReplyDeleteइसी कामना के साथ
बहुत सुन्दर तस्वीरे..
ReplyDelete:-)
ज़रूरी नहीं कुछ लिख ही डालें चित्र और आँखें भी बयान कर जाती हैं अनकही बातें मैं अक्सर सोचता हूँ की तुम्हारी पैनी निगाह जीवन के हर पहलू को कैसे चित्रित कर जाती है शायद ज़िन्दगी ने खुद ब खुद सिखला दिया जीना और तहजीब जीने का .....
ReplyDeleteगोबर चूने से सजा प्यारा सा घर।
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ReplyDeleteवाह! इन चित्रों को देखकर यह एहसास होता है कि दिवाली दीपों से ही नहीं मनाई जाती। मन, घर, सब उजला करना पड़ता है।
ReplyDeleteजीवन के इस अद्भुत सौंदर्य से परिचय कराने के लिए आपका आभार! घर की सज्जा से गृहणी का सलीका छलक रहा है| नन्ही गुडिया और उसके भैयों की खुशी स्वाभाविक है| शुभकामनाएं!
ReplyDeleteanupam
ReplyDeleteन्यारा बंगला भी कुछ नहीं इसके सामने.
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteबहुत प्यारे घर...बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी की टिप्पणी से पूरा इत्तेफाक!
ReplyDeleteइस उत्साह के आगे सब कुछ फीका! दीवाली तो यूँ ही मने!
आभार।
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ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें....असली दिवाली तो यही है...आप यूँ ही अपनी सजग आँखें और कैमरा तैयार रखें, बोलते चित्र से रूबरू करवाती रहें
ReplyDeleteदिवाली की ये तस्वीरे बड़ी मायने रखती हैं ....बहुत कुछ कहती हैं |मेरे दिल के बड़े करीब की हैं |
ReplyDeleteஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
(¯*•๑۩۞۩:♥♥ | दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
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बे लौस मोहब्बत हो , बेबाक सदाकत हो ;
सीनों में उजाला कर , दिल सूरते-मीना दे
Let love be selfless & truth fearless;
Let our breasts be lighted ‐Make our hearts clear- crystal.[-इकबाल ]सादर आभार
bahut sundar
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