Saturday, December 8, 2012

खुशनुमा मौसम...

                                               

फ़िर सुहाना मौसम आया है
हर ओर बहुत खूबसूरत नजारा है
खुश्बू से मैं जान पाई हूँ
इस मौसम को महसूस पाई हूँ
तुम्हारा साथ था तो खिड़की के बाहर दिख जाता था
या सारा मौसम खुशबू समेत बाँहों मे सिमट आता था
अब उस खिड़की में झीना परदा पड़ा है
कुछ दिखता भी है तो बस धुंधला सा है
ये धुंधलाहट आँखों में है या बाहर
कौन बतायेगा मुझे
क्या आओगे फ़िर
या मुझे आना होगा
कोई राह तो सूझे...

10 comments:

  1. हेमंत ऋतु पर सजी सुन्दर रचना
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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  2. दे जाता है कुछ गम
    यह खुशनुमा मौसम!

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  4. सुन्दर लिखा है..

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  5. स्मृतियों का तार न छेड़े,
    सपनों का संसार न छेड़े।

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  6. ये मौसम जितने खुशनुमा होते हैं उतनी ही तकलीफ भी दे जाते हैं.. बहुत खूबसूरती से बयान किया है तुमने!! जीती रहो!!

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  7. सुंदर रचना अर्चना जी ...

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  8. निःशब्द करती भावनाएं

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  9. झीने पर्दे के उस पार का खुशनुमा मौसम | बहुत सुंदर लिखा है | ऐसी रचना जिसके गर्भ में एक हलकी सी कसक या कहूँ तो ख्वाहिश छिपी हुई है |

    सादर

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  10. सुंदर रचना ... मौसम खुशनुमा रहे

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