न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
पहले चित्र में - दया मासी यानि मेरी मम्मी की मौसी,मेरी नानी जी की छोटी बहन यानि हमारी मौसी नानी 94 साल की मम्मी के साथ और दूसरे में -मैं,पल्लवी और "मायरा" माँ के साथ
ये नानी को भी न जाने क्या-क्या याद आ जाता है-- है तो पाकीज़ा फिल्म का संवाद पर आप ही बताईये भला- पाँव तो जमीन पर ही होने चाहिए न !