न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Thursday, October 9, 2014
इक जरा इन्तजार
सब कुछ सत्य है ! मैंने देखा है मॄत्यु को वो आई, पर मुझे साथ न ले गई वो फिर आयेगी, जानती हूँ और इस बार कोई बहाना न कर पायेगी इस बार तैयार हूँ मैं उससे भी पहले से .... -अर्चना
karo na intajar kisi ke ane ka jit lo sansar apane pas aie vichar se, dhekhane ko jab bhi nikaloge kuch khas, yeh phija hardam tumhe kuch khas nazar aaigi
सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeletekaro na intajar kisi ke ane ka
ReplyDeletejit lo sansar apane pas aie vichar se,
dhekhane ko jab bhi nikaloge kuch khas,
yeh phija hardam tumhe kuch khas nazar aaigi
अरे कहीं नहीं जाना! यहीं पर ब्लॉगिंग करना है!
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