Thursday, January 15, 2015

उत्तरायण

उत्तरायण...

आज की सुबह जल्दी हो गई....
संक्रांति का असर है शायद......
ऐसा ही रहा तो दान-पुण्य भी हो लेंगे......
करने का क्या है?
होना तो तय है......
बस! देखना है सूर्य जो उगने वाला है
कितना तपेगा और तपायेगा.....
धरा, जो जागने वाली है
कितनी जागृत रह पाएगी
जीव-जन्तु
पंछी,जो जाग कर हमें जगाएंगे
कितना गान कर पाएंगे
कब दाने की तलाश में निकलेंगे
कब लौटेंगे
रंभाएंगी गाएं
और सूर्यास्त होगा...
मेरा......
सबको शुभ हो
आज की सुबह
पहला दान
हुआ मेरा
...
सुप्रभात....

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति
    मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. बहुत सुंदर.
    मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    मकरसंक्रान्ति की शुभकामनायें

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  4. सुन्दर प्रस्तुति

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  5. सामयिक प्रस्तुति

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