Friday, February 20, 2015

स्व-चिंतन

इतने रंग है भरे -जीवन में
सब एक -दूसरे से सटे -जीवन में
कब किस रंग का गुब्बारा फूटे
कब कौन किससे रूठे
सबके लिए बैठे मेले में
स्व चिंतन है अकेले में......
- अर्चना

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