Friday, February 6, 2015

वही घर नई दुल्हन का ...












लड़ना ,झगड़ना फिर मिल जाना
आखिर चुगना है सबको दाना ...

मिलकर बिछड़ना और फिर मिल जाना
हर रिश्ते का यही फ़साना ....

मनभेद भुला कर प्यार बढे तो
लगा रहेगा आना जाना .......


3 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 8-2-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1883 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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