Sunday, May 24, 2015

लिखी जा रही अनवरत प्रवाहमान कहानी का एक टुकड़ा ...



बेसन -भात ... छुट्टी स्पेशल डिश ...तुम्हारी पसंद .....
सिर्फ इसलिए याद आई कि आज बनाया और आज छुट्टी है ...संडे ....संडे की तुम्हारी दिनचर्या याद आ गई .....
सुबह जल्दी उठना और घूमने जाना .... आज स्पेशल इसलिए कि आज बच्चों की छुट्टी रहती थी इसलिए मुझे भी साथ घूमने जाना होता /पड़ता था क्यों कि दोनों बच्चों से आपका वादा किया होता ...हालांकि मेरा मन होता कि घर सफाई और नाश्ता-वाशता निपटाने का समय मिल जाएगा अगर दोनों बच्चे आपके साथ ही घूम आएँ ....इस बहाने थोड़ा और सोने मिल जाता:-)
लेकिन कहाँ ... प्रामिस तो प्रामिस ...मम्मी को भी ले चलना है आपका बच्चों से किया वादा .... लेकिन वापस आकर ....सब्जी लेने जाना हफ्ते भर की ॥फिर फ्रिज मे जमाना भी ....
फिर नाश्ता तैयार होते तक सबके जूते रेक से निकाल पॉलिश कर जमा देना .... बच्चों का इस काम में तुम्हारा हाथ बँटाना .... इस जिज्ञासा से कि किसके जूते ज्यादा नए लगेंगे ....
साथ में टी वी पर कार्टून
चारों का साथ नाश्ता ...फिर खाना ... यही फटाफट बनाने वाला बेसन-भात ....रोटी की छुट्टी ...
मेरे कपड़े धोकर सुखाने तक दोनों बच्चों का स्नान पापा के साथ बच्चों की फव्वारा मस्ती ....
और खाना भी साथ ...उसके बाद टी.वी.के साथ हफ्ते भर के अखबार मे से पसंदीदा और चिन्हित कार्टून ,रसोई और आर्टिकल कि कटिंग और उन्हें क्रमवार /नंबर देकर /सलीके से चिपकाना
..
अभी तक संभाल कर रखे हैं कार्टून वत्सल के लिए और रसोई कि टिप्स पल्लवी के लिए .....
याद करते हैं बच्चे भी .... पर वे और मैं ... अब उतने नियमित नही ....
वैसे बेसन आज भी बहुत स्वादिष्ट बना था ..:-)

7 comments:

  1. नि:शब्द... वैसे यह सहज़ता आपकी धरोहर है... इंतज़ार रहेगा पूरे अंक का....
    आशा है यह किसी पुस्तक के रूप में सबके सामनें होगी...

    आज की ब्लॉग बुलेटिन बी पॉज़िटिव, यार - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
    सादर आभार !

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  2. बेसन में यादें जो मिल गई थीं ... स्वाद तो आना ही था।

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  3. बेसन में यादें जो मिल गई थीं ... स्वाद तो आना ही था।

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  4. दिल को छू जातीं हैं आपकी ये यादें .

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  5. एहसासों से भरी सुंदर आलेख.

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  6. आपकी यादों का ये भावनात्मक झरोखा पढ़ना अच्छा लगा

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  7. आपकी यादों का ये भावनात्मक झरोखा पढ़ना अच्छा लगा

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