आज गिरिजा दी ने आमंत्रित किया था ... पिछले हफ्ते ही पहली बार मिले ... और आज दूसरी बार...बहुत कुछ उनसे .
सीखने को मिला ... उनकी धीमी आवाज को सुनते हुए
महसूसा कि वाणी मेँ मिठास किसे कहते हैं ....और इनकी
बनाई आलू कि कचोड़ी बहुत स्वादिष्ट थी ... धन्यवाद ...मेरे
एक दिन को यादगार बनाने के लिए ...मान्या से मिलकर भी
खुशी हुई ...उसने भी एक भजन सुनाया ,उसे स्नेहाशीष ....
और इस मुलाक़ात मे उनकी आवाज मे सुनने के लालच ने बनवाया ये पॉडकास्ट ...
सुनिए और उन्हें पढिए उनके ब्लॉग - ये मेरा जहां पर
अर्चना सच तो यह है कि तुमसे मिलना एक सुखद संयोग है . अभी तक मैं मायरा की नानी को ही जानती थी अब एक आत्मीय और सरल बहिन भी मेरे साथ है . इस मुलाकात में मैंने भी काफी कुछ सीखा है उसके लिये धन्यवाद कहकर स्नेह को छोटा नही बनाऊँगी .
ReplyDeleteसुंदर गीतोंभरा संस्मरण।
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