पहले मेरे पास नोकिया था छोटे स्क्रीन वाला .... व्हाट्सएप की जरूरत नही थी ...ब्लॉग और फेसबुक ,यूट्यूब सब ...घर पर डेस्कटॉप पर वापर लेती थी ...
इस बीच टैब भी ले लिया .....अब सब कुछ गतिमान हो गया था मगर मैंने बड़े आकार का होने के कारण फोन का इस्तेमाल न होने वाला लिया था .
फिर फोन में गड़बड़ी होनी शुरू हुई कभी मुझे और कभी सामने वाले को सुनाई नहीं देता था .... सबसे ज्यादा मुश्किल तब आती थी जब माँ किसी से बात कह और सुन नहीं पाती थी उससे :-(
फिर बेटी ने उसका एक फोन दिया (उसके नया लेने पर बेकार पड़ा था :-)
... एक दिन व्हाट्सएप.... अपडेट की प्राबलम के कारण गायब हो गया टैब से ....अब टैब पर ब्लॉग ,मेल ,और फेसबुक चल रहे थे ...व्हाट्सएप्प पल्लवी वाले फोन में
उस पर फेसबुक छोड़ सब चल रहा था ...मगर ,,,, गांधीनगर में बिना वजह फोन और टैब दोनों बंद पड़ गए ........बंगलौर अकेले वापस आना था तो रचना से एक नोकिया पुराना बच्चा उधार लिया ....अभी भी फोन उस पर सुनती हूँ ...
बंगलौर आने पर पल्लवी वाला फोन और टैब दोनों अपने आप स्वस्थ हो गए :-)
आश्चर्य तो मुझे भी हुआ ..पर अच्छा लगा बहुत ... :-)
पर लेपटॉप उपलब्ध था तो टैब को आराम दिया हुआ था .....सिर्फ बाहर जाने में काम आता था .....
अब रश्मिप्रभा दी को उनके यहाँ मायरा के वीडियो भी उसी पर दिखाए ....मगर थक गया वो गया कोमा में ...... आज तीसरा दिन है ....
तो इस रामायण का सार ये की अब कुछ नया लेना है खुद के लिए ......
बच्चों ने भी पुराना देने से साफ मना कर दिया है ...... :-) मुझे लगता है ...इतना भी जरूरी नहीं.....
फोन एक में
व्हाट्सएप एक में
और फेसबुक
ब्लॉग एक में ...... चल ही रहा है ...... :-)
आप क्या सजेस्ट करेंगे ..... दिवाली उपहार मेरे लिए ...
ध्यान रहे सबसे ज्यादा पॉडकास्ट का काम होना चाहिए ....
शुभ दिन !
इस बीच टैब भी ले लिया .....अब सब कुछ गतिमान हो गया था मगर मैंने बड़े आकार का होने के कारण फोन का इस्तेमाल न होने वाला लिया था .
फिर फोन में गड़बड़ी होनी शुरू हुई कभी मुझे और कभी सामने वाले को सुनाई नहीं देता था .... सबसे ज्यादा मुश्किल तब आती थी जब माँ किसी से बात कह और सुन नहीं पाती थी उससे :-(
फिर बेटी ने उसका एक फोन दिया (उसके नया लेने पर बेकार पड़ा था :-)
... एक दिन व्हाट्सएप.... अपडेट की प्राबलम के कारण गायब हो गया टैब से ....अब टैब पर ब्लॉग ,मेल ,और फेसबुक चल रहे थे ...व्हाट्सएप्प पल्लवी वाले फोन में
उस पर फेसबुक छोड़ सब चल रहा था ...मगर ,,,, गांधीनगर में बिना वजह फोन और टैब दोनों बंद पड़ गए ........बंगलौर अकेले वापस आना था तो रचना से एक नोकिया पुराना बच्चा उधार लिया ....अभी भी फोन उस पर सुनती हूँ ...
बंगलौर आने पर पल्लवी वाला फोन और टैब दोनों अपने आप स्वस्थ हो गए :-)
आश्चर्य तो मुझे भी हुआ ..पर अच्छा लगा बहुत ... :-)
पर लेपटॉप उपलब्ध था तो टैब को आराम दिया हुआ था .....सिर्फ बाहर जाने में काम आता था .....
अब रश्मिप्रभा दी को उनके यहाँ मायरा के वीडियो भी उसी पर दिखाए ....मगर थक गया वो गया कोमा में ...... आज तीसरा दिन है ....
तो इस रामायण का सार ये की अब कुछ नया लेना है खुद के लिए ......
बच्चों ने भी पुराना देने से साफ मना कर दिया है ...... :-) मुझे लगता है ...इतना भी जरूरी नहीं.....
फोन एक में
व्हाट्सएप एक में
और फेसबुक
ब्लॉग एक में ...... चल ही रहा है ...... :-)
आप क्या सजेस्ट करेंगे ..... दिवाली उपहार मेरे लिए ...
ध्यान रहे सबसे ज्यादा पॉडकास्ट का काम होना चाहिए ....
शुभ दिन !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 30 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेख हैं.. AchhiBaatein.com - Hindi blog for Famous Quotes and thoughts, Motivational & Inspirational Hindi Stories and Personality Development Tips
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