बड़ी मेहनत की है आपने इस पोस्ट के लिए। यह आपकी आवाज बता रही है। ऐसी अतुकांत कविताएं, पाठ के साथ शब्द भी चाहती है। पाठक अपनी मर्जी से पढे और अर्थ लगाए। ये कवितायें इतनी सरल भी नहीं होती कि सुन लिया और समझ में आ गया। अच्छा लगा।
ऊपर ब्लॉग बुलेटिन ने 'प्रधानमंत्री के नाम एक दुखियारी भैंस का खुला ख़त' नाम से जिसे अपना आज का बुलेटिन बताया है, असल में वो फ़ेकिंग न्यूज़ की पोस्ट है, जो 15 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित हुई थी. इनकी तरह और भी कई लोगों/ब्लॉग्स ने बिना क्रेडिट दिये इसे प्रकाशित किया है.
सधे ढंग से मैं से परे मैं को उभारा है - सस्नेह
ReplyDeleteबड़ी मेहनत की है आपने इस पोस्ट के लिए। यह आपकी आवाज बता रही है। ऐसी अतुकांत कविताएं, पाठ के साथ शब्द भी चाहती है। पाठक अपनी मर्जी से पढे और अर्थ लगाए। ये कवितायें इतनी सरल भी नहीं होती कि सुन लिया और समझ में आ गया। अच्छा लगा।
ReplyDeleteऊपर ब्लॉग बुलेटिन ने 'प्रधानमंत्री के नाम एक दुखियारी भैंस का खुला ख़त' नाम से जिसे अपना आज का बुलेटिन बताया है, असल में वो फ़ेकिंग न्यूज़ की पोस्ट है, जो 15 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित हुई थी. इनकी तरह और भी कई लोगों/ब्लॉग्स ने बिना क्रेडिट दिये इसे प्रकाशित किया है.
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