Wednesday, November 25, 2015

टू, भगवान जी

कुछ लिखते नही बन  रहा ...
..ये चिट्ठी हाथ में आई एक पुराने पर्स को फेंकने के लिए खाली करते समय....सुनिल के एक्सीडेन्ट के बाद की चिट्ठी है बेटि ने लिखी है ..........तब मेरे बच्चों के मन में क्या चल रहा था ....इस चिट्ठी ने सब कुछ सहेज लिया......तब पल्लवी पहली और वत्सल चौथी कक्षा में होगा.....
सुनिल अन्कॉन्शस रहे करीब साढे तीन साल ... उस समय मेरे पास समय नहीं रहता था बच्चों के साथ बिताने के लिए ...
भगवान जी पर भरोसा !...
अब भी है ,मुझे भी ...










आज शादी की ३१ वीं सालगिरह पर ये उपहार आपके लिए .....

5 comments:

  1. Bhagwan ji, Archana Chav ji ko sada khush rakhana!!

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  2. दी ,कुछ यादें नि:शब्द कर जाती हैं … सादर !

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  3. आँखें भर आईं ---
    अपनी कहानी में भी दर्द के बहुत पैबंद हैं ---

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2172 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  5. ​​​​​​​​​सुन्दर यादें|
    ​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​​आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #असहिष्णुता पर​ ​| ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

    ​http://hindikavita​​manch.bl​​ogspot.in/2015/11/intolerance-vs-tolerance.html​​
    http://kahaniyadilse.blogspot.in/2015/11/blog-post_24.html

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