..ये चिट्ठी हाथ में आई एक पुराने पर्स को फेंकने के लिए खाली करते समय....सुनिल के एक्सीडेन्ट के बाद की चिट्ठी है बेटि ने लिखी है ..........तब मेरे बच्चों के मन में क्या चल रहा था ....इस चिट्ठी ने सब कुछ सहेज लिया......तब पल्लवी पहली और वत्सल चौथी कक्षा में होगा.....
सुनिल अन्कॉन्शस रहे करीब साढे तीन साल ... उस समय मेरे पास समय नहीं रहता था बच्चों के साथ बिताने के लिए ...
भगवान जी पर भरोसा !...
अब भी है ,मुझे भी ...
आज शादी की ३१ वीं सालगिरह पर ये उपहार आपके लिए .....
Bhagwan ji, Archana Chav ji ko sada khush rakhana!!
ReplyDeleteदी ,कुछ यादें नि:शब्द कर जाती हैं … सादर !
ReplyDeleteआँखें भर आईं ---
ReplyDeleteअपनी कहानी में भी दर्द के बहुत पैबंद हैं ---
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2172 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सुन्दर यादें|
ReplyDeleteआप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #असहिष्णुता पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/intolerance-vs-tolerance.html
http://kahaniyadilse.blogspot.in/2015/11/blog-post_24.html