आज बहुतों के स्टेटस पढ़े ,उनके जिन्होंने करवा चौथ का व्रत रखा और उनके भी जिन्होंने नहीं रखा .... दोनों ने शान से बताया कि -रखा या नहीं रखा
जिन्होंने नहीं रखा उनके फोटो देखे कभी न कभी किसी न किसी व्रत का फोटो पोस्ट किया दिखा
जिन्होंने रखा फोटो पोस्ट कर बहुत खुश दिखी
जिन्होंने रखा फोटो पोस्ट कर बहुत खुश दिखी
खुश तो मैं भी हूँ बहुत। ..... अगर मैं कहूँ मैंने भी रखा तो ? .. (सजने की मनाही है व्रत की नहीं )..
हाँ .. हाँ सब सोचेंगे किसके लिए ?
. .
खैर !बताना जरूरी तो नहीं लेकिन...आत्मा तो अमर है
.. और फिर वादा तो आखिर वादा ही होता है... जन्मों के साथ का पर हाँ मेरे लिए गिफ्ट लेना न भूलना याद है न ! वो रोहिणी के पास वाली जगह हाँ तुम्हारे दोस्त चाँद की रोहिणी। ..
तुम भी तो अपने दोस्त के साथ रहते हो। ....
हाँ .. हाँ सब सोचेंगे किसके लिए ?
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खैर !बताना जरूरी तो नहीं लेकिन...आत्मा तो अमर है
.. और फिर वादा तो आखिर वादा ही होता है... जन्मों के साथ का पर हाँ मेरे लिए गिफ्ट लेना न भूलना याद है न ! वो रोहिणी के पास वाली जगह हाँ तुम्हारे दोस्त चाँद की रोहिणी। ..
तुम भी तो अपने दोस्त के साथ रहते हो। ....
मिलती हूँ ,जल्दी ही। ..
अनवरत चलने वाली कहानी का चौथ वाला टुकड़ा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2501 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
प्रिय अर्चना ,दिल को छू गई तुम्हारी बात .आस्था और व्रत किसी शर्त को नही मानते .और सजने की मनाही भी क्यों . तुम्हारे साथ हर पल वो हैं ना . कहा गया है न कि सौ बरस की जिन्दगी से अच्छे हैं प्यार के दो चार पल ..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-10-2016) के चर्चा मंच "करवा चौथ की फिर राम-राम" {चर्चा अंक- 2502} पर भी होगी!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'