वो २५ नवंबर १९८४ का दिन था , और आज थोड़ी देर में २५ नवंबर २०१६ हो जाएगा। ....
हैप्पी एनिवर्सरी। .......
.(कोई दूसरी फोटो नहीं मिल रही यहां लगाने को :-( )-
. तारीख वही रहती है बस साल बदलते-बदलते बहुत लंबा रास्ता तय कर लिया है अब तक ,करीब ३२ साल। ......
हैप्पी एनिवर्सरी। .......
.(कोई दूसरी फोटो नहीं मिल रही यहां लगाने को :-( )-
. तारीख वही रहती है बस साल बदलते-बदलते बहुत लंबा रास्ता तय कर लिया है अब तक ,करीब ३२ साल। ......
इन बत्तीस सालों में हमारा साथ रहा सिर्फ ९ सालों का। ....और २३ साल गुजारे तुम्हारे बिना। ..
ये आंकड़ों का खेल भी बहुत निराला होता है न!
अब जीवन में उस मुकाम तक आ पहुंची हूँ जहां से आगे का रास्ता सीधा है। ..... चलना तो अकेले ही है। ... कोई आगे निकल गए कोई पीछे छूट जाएंगे। ...
खुद को व्यस्त रखती हूँ। ...ताकि खुद मुझे मुझसे कोई शिकायत न रहे। ... मेरे मन ने कुछ लिखा है पढ़ो --
किसी अपने का सपना हो तो अच्छा लगता है
कोई सपने वाला अपना हो तो भी अच्छा लगता है
किसी सपने का अपना हो जाना जिंदगी बना देता है
किसी सपने का अपना हो जाना जिंदगी बना देता है
और किसी अपने का सपना हो जाना जिन्दगी मिटा देता है ....
गीत याद आ रहे हैं। ... ...
आपने लिखा....
ReplyDeleteमैंने पढ़ा....
हम चाहते हैं इसे सभ ही पढ़ें....
इस लिये आप की रचना दिनांक 27/11/2016 को पांच लिंकों का आनंद...
पर लिंक की गयी है...
आप भी इस प्रस्तुति में सादर आमंत्रित है।
अर्चना जी, सालगिरह की बधाई भी नहीं दे सकती! अपने हमसफर से बिछुडने का दु:ख ...बाप रे...कल्पना भी नहीं कर सकती!! कितना कुछ सहा होगा आपने! और सह रही होगी...! लेकिन आपने हिम्मत रख कर अपने आप को सम्भाला यह काबिले तारिफ है। मेरी शादी की सालगिरह भी २५ नोव्हें (१९८७) को ही आती है।
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ReplyDeleteआपके साहस, आपकी सकारात्मक सोच और आपकी रचनाधर्मिता को नमन है अर्चना जी ! कुछ दर्द ऐसे होते हैं जिन्हें कोई दूसरा बाँट ही नहीं सकता लेकिन जिनका होना भी ज़िंदा रहने का अहसास देता है ! अपना ख़याल रखियेगा !