Wednesday, May 3, 2017

चढ़ता सूरज धीरे-धीरे


"गाओ गुनगुनाओ शौक से" एक ग्रुप क्या बनाया   ... संगम हो गया गीतों,ग़ज़लों,कव्वालियों  का , आज गिरिजा दी को गेस्ट एडमिन बनाया और उन्होंने थीम दी - गैर फिल्मी भजन, ग़ज़ल, स्तुति

और एक से बढकर एक भजन ग़ज़ल सुनाई गई। ... हालांकि कव्वाली के बारे में स्पष्ट नहीं था गा  सकते हैं या नहीं। ..

फिर भी ये कोशिश की... पसंदीदा कव्वाली। ... एक समय था जब इसकी गूँज थी। अज़ीज नाज़ा की आवाज में

 ... आज भी दिल पर राज करती है ये कव्वाली - आप भी सुनिए - (ध्यान रहे मैं कोई गायिका नहीं हूँ )




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