न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
बहुत बहुत धन्यवाद। व्यंग्य में नाटकीय प्रभाव आ गया है जिससे इसका मजा और बढ़ गया है।
बहुत बहुत धन्यवाद। व्यंग्य में नाटकीय प्रभाव आ गया है जिससे इसका मजा और बढ़ गया है।
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