Tuesday, July 4, 2017

चश्में की जरूरत नहीं ,जब मां साथ होती है ...

माँ मोरारीबापू की कही राम कथा सुनती हैं, मैं यूट्यूब पर लगा देती हूँ, आज आर्मी के जवान दिखाई दे रहे हैं एक वीडियो में ,अमरनाथ में कही कथा का वीडियो है, अंत में एक गीत गाया उन्होंने दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रखे.... माँ को अचानक कुछ  याद आया बोली - ये "आँखे"फ़िल्म का गीत है,ललिता पंवार थी उसमें ..... "बेन"(उनकी सास यानि मेरी दादी) भोपाल में देख के आए थे, तो आकर मुझसे बोले थे कि जाकर देख के आना, बहुत बढ़िया है....फिर हम गए थे देखने ...

एक याद अच्छी सी .....मेरी याद की अलमारी में सहेजने को जिसे #मायरा तक पहुंचाना है मुझे ......

चश्में की जरूरत नहीं ,जब मां साथ होती है ...

3 comments:

  1. बहुत सही कहा आपने, प्रणाम माताजी को.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    कैप्चा हटा लिजीये प्लीज.
    सादर

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  2. अच्छी यादों को सहेज कर रखना सुखद है.

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  3. वाह , हार्दिक मंगलकामनाएं !

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