पिछले कई दिनों से ब्लॉग लेखिकाओं से मुलाकात के योग बनते रहे...
मैं टुकड़ा टुकड़ा बँटी रही इंदौर ,बंगलौर और खरगोन के बीच...
इससे पहले जब इंदौर में थी तब एक दिन अचानक आशालता जी का फोन आया कि मैं हॉस्पिटल में हूँ,पैर में रॉड लगी हैं, आपकी याद आई तो फोन मिला लिया, उन्हें ब्लॉगर के तौर पर जानती थी, फिर तभी तय किया कि हॉस्पिटल जाकर मिला जाए, संभव हुआ ,खोजते हुए पहुँच ही गई थी,बेटे और अपने श्रीमान जी के साथ परिचय करवाया,हालांकि उससे पहले भी एक बार उनके घर ऐसे ही न्यौता था उन्होंने और मैं पहुंच गई थी तब भी...
खैर जैसे ही मुझे देखा उनके चेहरे पर रौनक आ गई, जितना समय रुक सकती थी रुकी उनके पास वे बतियाते रही थीं - लेखन अपनी पढ़ाई अपने परिवार,माता,पिता सबके बारे में......
4-5 महीने पहले फिर एक दिन फोन आया कि मैं फिर हॉस्पिटल में हूँ,लेकिन तब चाहकर भी मिलना नहीं हो पाया था ..वे उज्जैन चली गई थीं,फिर एक दिन दामाद जी के साथ आधे रास्ते तक उज्जैन के लिए निकली भी लेकिन अचानक केंसल हुआ और हम रास्ते से ही वापस लौट आए ।
फिर मैं बंगलौर चली गई....इस बीच आशा जी का स्वास्थ्य और खराब हुआ, पेरेलिसिस अटैक आया ,मुझे बेहद अफसोस हुआ कि उनसे मिल न पाई, लेकिन इस बीच व्हाट्सअप ग्रुप बनाया " गाओ गुनगुनाओ शौक से"उसमें संगीता अस्थाना जी के आग्रह पर साधना वैद जी जुड़ी ..और मुझे पता चला कि वे आशा जी की सगी बहन हैं ।उनके हालचाल मिलते रहे । इस बार जब इंदौर आने का प्लान बना तो आशा जी से मिलना प्राथमिकता में था और आज वो संयोग बना.... आज मैं ,पल्लवी,मायरा और नीलेश - आशाजी से मिले उनके घर जाकर, वे इतनी खुश हुई कि मेरे पास बताने को शब्द नहीं,पहले की ही तरह हर विषय पर बात की,कैसे शादी के बाद पढ़ाई जारी रखी बिस्तर से उठ तो नहीं सकती थी,लेकिन मजबूत ईच्छाशक्ति की मालकिन फिर उसी जोश से मिली ,मुझे उनकी प्रकाशित पुस्तक भेंट की, लेखन अब भी जारी है,मायरा ने भी भरपूर मनोरंजन किया उनका..कविताएं और श्लोक सुनाए डांस दिखाया,.....बहुत अच्छा लगा एक दिन ऐसे बीतना...👍ढाई साल से बिस्तर पर स्वास्थ्य से लड़ाई करती हुई आशालता जी के साथ थोड़ा सा वक्त बिताना.
ईश्वर से प्रार्थना है वे और जल्दी स्वस्थ हों और लेखन जारी रखें !
किन शब्दों में आपका आभार और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करूँ समझ नहीं पा रही हूँ ! आज आपने कितनी खुशी उन्हें दी है और कितना आश्वस्त मुझे किया है इसका अनुमान आप स्वयं भी नहीं लगा सकतीं ! इसमें कोई संदेह नहीं वे जीवटता की मिसाल हैं और अद्भुत इच्छा शक्ति एवं दृढ़ व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं ! हम सबके लिए प्रेरणा हैं वे ! ऐसी ही हैं मेरी जीजी ! आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद अर्चना जी !
ReplyDeleteबहुत अच्छा आशाजी से आपका मिलना मुझे ब्लॉग के वो दिन आ गए जब वे हर पोस्ट पर अपना आशीर्वाद बरसाती थी
ReplyDeleteईश्वर जल्द ही स्वस्थ करे उन्हें ।
सहज ,सरलहदया आशाजी को प्रणाम।
और आपकी की इस स्नेहमयी मिलनसारिता को नमन।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-08-2017) को "राखी के ये तार" (चर्चा अंक 2686) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आशालता जी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें, उनका परिचय जानकर बहुत अच्छा लगा, बहुत शुभकामनाएं उनको.
ReplyDeleteरामराम
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