Monday, January 22, 2018

शरद कोकास जी की लंबी कविता और उसका सस्वर वाचन स्वयं शरद जी द्वारा, भाग -2

अपने ब्लॉग के पाठकों के लिए मैं शरद कोकास जी की कविता ' देह ' के यह पंद्रह ऑडियो और उनके साथ कविता की स्क्रिप्ट प्रस्तुत कर रही हूँ । आज प्रस्तुत है द्वितीय भाग  और उसका ऑडियो । आप कविता पढ़ने के साथ साथ उसे सुनने का आनंद भी ले सकते हैं । ऑडियो में शरद कोकास की आवाज़ है और पार्श्व में है पियानो का संगीत ।



*शरद कोकास की लम्बी कविता 'देह'*

_ *भाग 2* _
*देह* और जीवन की सहयात्रा जो सहस्त्राब्दियों से जारी है
जहाँ एकाकार हो चली मनुष्य की शक्लों में झिलमिलाता है
किसी जाने पहचाने आदिम पुरखे का चेहरा
आज के मनुष्य की देह तक पहुँचने से पहले
जाने कितनी यंत्रणाओं से गुजरी होगी उसकी देह
किस तरह अपनी क्षमता और आश्चर्यों से उबरकर
दैहिक नियमों के सूत्र रचे होंगे उसने
किस तरह सिध्द की होगी देह में जीवन की उपयोगिता
कैसे गढे गए होगें स्त्री-पुरुष अंगों के अलग अलग आकार
और जीवन में उनकी भूमिका तय की गई होगी

*आइने* में अपने चेहरे पर तिल देखते हुए
क्या हम सोच सकते हैं हमारे किसी पूर्वज के चेहरे पर
ठीक इसी जगह रहा होगा ऐसा ही तिल
हमारे हँसने मुस्कराने खिलखिलाने में
हमारी किसी दादी नानी की मुस्कुराहट छिपी होगी
हमारे किसी परदादा के माथे पर
ठीक उसी जगह बल पडते होंगे
जिस तरह हमारे माथे पर पडते हैं
*समय* के आंगन में अभी कल तक तो थीं
हमारे विस्मृत पुरखों की परछाइयाँ
जो उनकी देह के साथ ही अदृश्य हो गईं
जानना तो क्या सोचना भी बहुत मुश्किल
कि वे ठीक हमारी तरह दिखाई देते थे
हमारे अवयवों की तरह हरकतें होती थीं जिनके अवयवों मे
हमारे देहलक्षणों की तरह थे जिनके देहलक्षण
और उनका भी वही देहधर्म था जो आज हमारा है ।
*शरद कोकास*
**********

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (24-01-2018) को "महके है दिन रैन" (चर्चा अंक-2858) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत आभार अर्चना जी मुझे उम्मीद है कि आपके ब्लॉग के इस माध्यम से लम्बी कविता 'देह ' का यह दूसरा भाग तथा इसका ऑडियो अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगा ।।

    ReplyDelete
  3. उम्दा कविता प्रस्तुत की.

    ReplyDelete