बहुत दिनों बाद भोर में
इस प्रहर नींद खुली
कारण सिर्फ इतना कि-
दिसंबर कि सर्द-सर्द
मीठी सी रात का आखरी प्रहर ...
लिहाफ भी ठंडा
सर्द और कुडकुडा हो चुका है
प्रेम कविता ऐसे ही प्रहर जन्म लेती है
सूरज का इंतज़ार-
कुहासे की चादर में
पंछियों का कलरव
ओस के बगीचे में
देखने का मन ,
सुनने का मन -
रोशनदान से कि
चाँद -चांदनी में
जाने क्या गपशप हुई
और ...
एक अदद चाय कि दरकार ....
बेड-टी ...
....
बालकनी कि दूसरी कुर्सी
झूल कर- कर रही है आवाज
कि जैसे कोई उठकर गया है अभी ....
पलकें खोलूं या न खोलूं
सच है या सपना
सपना हो -तो सच हो...
सच होता है -
भोर का सपना ...
ठण्ड बढ़ी है...
एक और कड़क चाय कि दरकार है ..
अदरक वाली ...
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteVery Nice Article
ReplyDeleteThanks For Sharing This
I Am Daily Reading Your Article
Your Can Also Read Best Tech News,Digital Marketing And Blogging
Your Can Also Read Hindi Lyrics And Album Lyrics
Thanks For Sharing This Article
ReplyDeleteI am Reading Daily Your Posts
Keep Up Daily Upadate
Read More AboutJio Phone Recharge Plan List Detail 2020 - 2021
very informative your article. i'm dialy read your post.
ReplyDeletekeep up daily upadate.
https://www.newlirics.in/
Nice Site.
ReplyDeleteGet All songs lyrics here Lyricser Lyricser