न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
रहना सादगी से
बिना कोई ताम झाम
लक्ष्य निर्धारित कर
उसको पाना इनका काम
न कोई अस्त्र न कोई शस्त्र
जीते शांति से जंग
सफ़ेदी में इनकी वो चमक
कि दबे रह गए सब रंग
शास्त्री और गांधी भारत माता के ये दो पूत
जाने इनको अब कहकर आज़ादी के दो दूत ...
-अर्चना
नमन
बहुत बढ़िया
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नमन
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