मेरे मन की

न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"

Tuesday, December 16, 2014

भोर का राग

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अपनी नानी याद आ रही है मुझे भी .....अभी -अभी भोर का मायरा राग आलाप बंद हुआ है,पता नहीं क्या सूझा रात्रि को पहले पहर का भी सुनाया .....तब तो ...
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Monday, December 15, 2014

मायरा और बॉल

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Thursday, December 11, 2014

सांचा नाम तेरा ...

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जब भी ये गीत कानों में पड़ता है .... विश्वास बढ़ता हुआ सा लगता है ....
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Tuesday, December 9, 2014

चाय की चुस्की विथ सूरज भाई व्हाया अनूप शुक्ल

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" पुलिया पर दुनिया " के लेखक ,ब्लॉगर और फेसबुकिया साथी अनूप शुक्ल जी का एक स्टेटस सुनिए यहाँ -  और पढ़िए यहाँ- ...
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Sunday, December 7, 2014

कामायनी (भाग २) आशा

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बहुत दिनों से मन था इसे रिकार्ड करने का ...कई प्रयास किए, मगर एक तो मेरी कम पुस्तक पढ़ने  की आदत और दूसरे इतनी बड़ी रचना ,नेट से  स्क्रीन पर ...
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Saturday, December 6, 2014

विरह ...

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विरह ... सावन आँगन बरसे बूँदे,पलकन बोझा ढोय सरर सरर मोरी चुनरी सरके सिहरन देह मा होय... चाँद बिछावै तारा रंगोली जब चाँदनी आँगन...
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Friday, December 5, 2014

अमॄत बूँद

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अमॄत बूँद एक पल कोई साथ चले तो,बनता एक अफसाना है, कल फिर लौट के जाना है ,अपना जहाँ ठिकाना है।  पथ के कांटे चुनते - बीनते...
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मैं खुद...

Archana Chaoji
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