Tuesday, December 16, 2014

भोर का राग

अपनी नानी याद आ रही है मुझे भी .....अभी -अभी भोर का मायरा राग आलाप बंद हुआ है,पता नहीं क्या सूझा रात्रि को पहले पहर का भी सुनाया .....तब तो नानी ने सुन-सुन के  समापन करवा  लिया तो नानी का हाथ तकिया बनाना पड़ा .....अब माँ की गोद में बिराज कर ही सुनाया .... राग तो बंद हुआ मगर माँ हिली तो फिर शुरू होने का खतरा ..... पापा थक के अब  सारंगी बजा रहे हैं ......

फेसबुक पर मॉर्निंग वाक किया तो घुघूती बासुती जी कहते हुए दिखी -
वाह बारहखड़ी!!

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