तू एक कली थी , कांटे सी चुभी क्यों ?
माला की एक लड़ी थी , टूट के बिखरी क्यों ?
बीच में ही रुक गई , आगे न बढ़ी क्यों ?
पूछती कुछ सवाल , हमसे ही डरी क्यों ?
भीड़ में भी थी यूं , अकेले ही खड़ी क्यों ?
क्या थी हमसे शिकायत ? , जो तू कभी कह न सकी ,
कौनसा था गम तुझे ?, कि तू सह न सकी ,
तेरा वो धीरे से मुस्कराना आज भी याद आता है ,
दर्द तुने ऐसा दिया है कि सहा नहीं जाता है ,
तेरी तारीफ में जो कुछ भी कहें, वो होता है कम ,
और तुझे याद करके है , आज भी आँखे हैं हमारी नम ,
तू थी इतनी शांत ,सौम्य , और गंभीर ,
तेरी बोलती आँखों पर हमारी ही , नजर न पड़ी क्यों ?
कितना अच्छा होता, जो हम भी तेरे साथ चल पड़ते ,हमारे ही पैरो में है बंधन की कड़ी क्यों??????????????
माला की एक लड़ी थी , टूट के बिखरी क्यों ?
बीच में ही रुक गई , आगे न बढ़ी क्यों ?
पूछती कुछ सवाल , हमसे ही डरी क्यों ?
भीड़ में भी थी यूं , अकेले ही खड़ी क्यों ?
क्या थी हमसे शिकायत ? , जो तू कभी कह न सकी ,
कौनसा था गम तुझे ?, कि तू सह न सकी ,
तेरा वो धीरे से मुस्कराना आज भी याद आता है ,
दर्द तुने ऐसा दिया है कि सहा नहीं जाता है ,
तेरी तारीफ में जो कुछ भी कहें, वो होता है कम ,
और तुझे याद करके है , आज भी आँखे हैं हमारी नम ,
तू थी इतनी शांत ,सौम्य , और गंभीर ,
तेरी बोलती आँखों पर हमारी ही , नजर न पड़ी क्यों ?
कितना अच्छा होता, जो हम भी तेरे साथ चल पड़ते ,हमारे ही पैरो में है बंधन की कड़ी क्यों??????????????
कितना अच्छा होता, जो हम भी तेरे साथ चल पड़ते ,
ReplyDeleteहमारे ही पैरो में है बंधन की कड़ी क्यों??????????????
बहुत अच्छा लिखा है आपने. सुंदर भाव.
एक अनुरोध- कृपया टाइप करते समय मात्राओं की अशुद्धियों पर ध्यान दें. वह भी लेखन का एक पक्ष है.
Bhavnaao ko uchit shabdo ke sath blog me laya hai.
ReplyDelete___________________________"VISHAL"
सदियां बीत गई, यह प्रश्न अनुत्तरित ही रहा!
ReplyDeleteऔर प्रश्न का उत्तर पाने की कोई आस दिखती भी नहीं।
आपका हार्दिक स्वागत है अर्चनाजी, खूब लिखें, बढ़िया लिखें।
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
Vajib sawal uthaye hain aapne. Swagat.
ReplyDeleteप्रताप जी धन्य्वाद, आपके अनुरोध को ध्यान मे रखूगी. वैसे कम्प्यूटर मे ही छोटी इ की मात्रा गलत आ रही है और बहुत कुछ सीखना है।
ReplyDeleteविशाल जी तथा अभिशेक जी धन्यवाद।
सागर जी धन्यवाद आपका भी।
bahut bhavatmak lekhan hai !
ReplyDeletesundar rachna
aage bhi aisi hi post ki aasha hai
भावुक अभिव्यक्ति है..........सुंदर रचना
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